ये मेरा दुःख क्या जानो तुम
ये मेरा दुःख क्या जानो तुम
ये मेरा दुःख क्या जानो तुम ..?
तिनका-तिनका मिट्टी मिट्टी
जब जोड़ा तब ये बन पाया
और आठ पहर तन तोड़ा है
तब मिट्टी का ये घर पाया
ये मेरा दुःख क्या जानो तुम...!
मेरी आस पियास यही सब है
है जीवन का उल्लास यही
है छोटी सी दुनिया अपनी
और खुशियों का संसार यही
ये मेरा दुःख क्या जानो तुम..!
अपनीं आंखों के आगे ही
मैंने इसको गिरते देखा
अपनीं खुशियों की दुनिया को
तिनका-तिनका बहते देखा
ये मेरा दुःख क्या जानो तुम...!
दिल हाय हाय कर टूट गया
आंखों से आंसू छूट गया
नाक रगड़ माथा टेका
पर मानो ईश्वर रुठ गया
ये मेरा दुःख क्या जानो तुम...?
मैली कुचली भीगी रोटी
जब हाथ धरी मन रोया है
इस बारिश में हमसे भी तो
कोई पूछे क्या क्या खोया है.?
ये मेरा दुःख क्या जानो तुम..?
बेटा बिलखे है पेट पकड़
बेटी आंचल में ढूंढ़े है
अब माई भी क्या दे उनको
खुद चार दिनों से भूखे
ये मेरा दुःख क्या जानो तुम...!
लेखा किस्मत का मान लिया
और भाग यही है जान लिया
प्रभु की लीला नें नाच नाच
मेरी खुशियों से दाम लिया
ये मेरा दुःख क्या जानो तुम...!
ये मेरा दुःख क्या जानो तुम..!