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neetu singh

Abstract

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neetu singh

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बेटियां

बेटियां

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अनेक विसंगतियों के मध्य

अनेक कुविचारों के समक्ष

तरह तरह के तर्क

से जूझ कर

अंततः

जन्म ले ही लेती हैं

बेटियां... 

जन्म के समय से ही

जीवन

रणक्षेत्र सा ..

अपने समस्त

विकट और विकराल

कठिनाइयों के साथ ..

दुर्गम मार्ग युक्त

अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित ..

और

बाहें फैलाये

स्वागत के लिए

उसके ..

सदैव

तत्पर रहती हैं

बेटियां...

कदाचित

विपरीत परिस्थितियों के साथ

संघर्ष हेतु

ईश्वर ने

लचीलापन से

और

तरलता से

रोम रोम सिक्त किया है

ताकि

ढाल सके

प्रत्येक परिस्थिति में

स्वयं को

सहजता से

बेटियां... 

निर्वहन

सम्बन्धों का ..

रीति रिवाजों का ..

और

प्रेम

प्रणय

वात्सल्य आदि

समस्त भावों का ..

निर्भयता से

अगाध श्रद्धा के साथ

जीवनपर्यंत

करती रहती हैं

बेटियां... 

परत दर परत

सम्बन्धों के

आवरण में लिपट कर

एक आंगन से

दूसरे आंगन तक

सुमन सा खिल के

चौखट से मिल कर

प्रत्येक ईंट तक

सुवासित करती हैं

बेटियां...

अग्नि में जल कर ..

बलिष्ठ भुजाओं में

तड़प कर ..

पग पग

अपनी अस्मिता खो कर ..

आकंठ तेजाब पी कर ..

और

कोख में ही मर कर भी..

स्वयं को

जन्म लेने से

कहां रोक पाती हैं

बेटियां... ... ... ... ...॥॥



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