ज़िन्दगी की कश्मकश से..रोज लड़ के रोज भिड़ के..राह एक निकाली मैंने...एहसासों के साए से...!
मैं वो लड़की हूं जिस पर दरिंदगी के नित नये इतिहास रचे जाते हैं मैं वो लड़की हूं जिस पर दरिंदगी के नित नये इतिहास रचे जाते हैं
जीतते तो सिर्फ तुम और चुने हार हम फिर ये कैसे प्यार हम ? जीतते तो सिर्फ तुम और चुने हार हम फिर ये कैसे प्यार हम ?
मुट्ठी में कस बंद मैंने खौफ़ सारे रख लिए हैं! मुट्ठी में कस बंद मैंने खौफ़ सारे रख लिए हैं!
चाह कर भी परिधि अपनी तोड़ नहीं पाती ..! चाह कर भी परिधि अपनी तोड़ नहीं पाती ..!
अंततः जन्म ले ही लेती हैं बेटियां... अंततः जन्म ले ही लेती हैं बेटियां...
और आठ पहर तन तोड़ा है तब मिट्टी का ये घर पाया! और आठ पहर तन तोड़ा है तब मिट्टी का ये घर पाया!