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Kundan Victorita

Tragedy

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Kundan Victorita

Tragedy

ये लड़के हैं ...

ये लड़के हैं ...

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जब सपने जिम्मेदारियों तले कुचले जाते हैं ,

ये लड़के हैं जनाब बिन आंसू के रो जाते हैं।

जब सारी कोशिशें नाकाम हो जाती हैं,

मंजिलें दूर-दूर तक नजर नहीं आती है

इन से सीखिए जनाब, गम में कैसे मुस्कराते हैं।

जब काम ना मिले तो भूखे पेट कैसे सो जाते हैं,

जनाब इन से सीखिए,

ये सिर्फ गरीब और मिडिल क्लास फैमिली से ही आते हैं।

जिम्मेदारियों को निभाते-निभाते कब खुद को भूल जाते हैं,

जनाब इन से सीखिए परिवार कैसे चलाते हैं।

कब किताब छोड़ कुदाल उठाते हैं,

ये खुद नहीं समझ पाते हैं,

ये लड़के हैं साहब बिन आंसू के रो जाते हैं।

कभी तो कोई समझेगा इन्हें

इसी आस में सारी उम्र गुजार जाते हैं,

ये लड़के हैं साहब बिन आंसू के रो जाते हैं।


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