STORYMIRROR

Ramdev Royl

Tragedy

4  

Ramdev Royl

Tragedy

ये कैसी आज़ादी

ये कैसी आज़ादी

2 mins
385


ऐसी आजादी का क्या फायदा अपनी जिंदगी मर्जी से ना जी सके,

मार दिया उस निर्दोष को की पानी के मटके को फिर ना छू सके।।


गलती सिर्फ इतनी थी स्कूल में रखे घड़े को उसने छू लिया।।

 राक्षस से कम नही है ऐसे लोग जिसने घड़ा छूने पे प्राण उसका ले लिया।।

 

आजाद भारत में कैसी जिंदगी फेला रहे हैं पानी भी मर्जी से नही पीने दे रहे हैं।

कुछ भ्रष्ट लोग देश में गंदगी फैला रहे हैं पढ़े

 लिखे भी ना समझ निकले जा रहे हैं।


शिक्षा का ये दौर देख कर लगता है कुप्रथा  खत्म हो गई

ना जाने पढ़े लिखे की बुद्धि भ्रष्ट क्यों गई।


जालोर वाली घटना आजादी पे सवाल खड़ा कर रही है।

 आजाद भारत में रहकर भी पानी पीने की सजा प्राण दे कर चुकानी पड़ रही है। 


बेशक भारत आजाद हो गया उन ब्रिटिश (अंग्रेजो) गोरों से।

ना जाने कब आजादी मिलेंगी देश के अंदर छुपे गद्दारों से।


अधिकार सब को समान मिले सबको जीने का हक मिला है।

अनपढ़ की तो बाते छोड़ो पढ़ा लिखा भी बुराई में लिप्त मिला है। 


 निम्न जाति उच्च जाति का ढोंग कब तक चलता रहेगा।

कब तक आदमी ऐसे कुप्रथा छुआछूत का शिकार होता रहेगा।


कही ऐसा ना हो खुद का हिसाब खुद करने लग जाए।

बुराई करते दिखे भेड़िए तो समाज खुद शस्त्र उठाए।


पानी सर से ऊपर जा चुका है अन्य कोई उपाय नहीं है।

उखाड़ फेंको भ्रष्ट लोगों को क्योंकि गद्धरो का देश में स्थान नही है ।


आज के युग में छुआछूत भेदभाव करने वाले भ्रष्ट बुद्धि राक्षस है।

उच्च व्यक्ति उच्च जाति से नही उच्च विचार रखने वाले है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy