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Ramdev Royl

Abstract Children

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Ramdev Royl

Abstract Children

बीता वक्त

बीता वक्त

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लम्हों की दुनिया में काश कोई तरीका होता,

कहीं पीछे जाने का रास्ता रखा होता,

काश मैं ढूंढ पाता उन्हें जो छोड़ गए हमें,

वक्त की नदी में काश उल्टे बहना सीखा होता।

कुछ चमकते से सितारे थे जो टूट गए,

कुछ आशीर्वाद के मोती कहीं छूट गए,

काश मैं ढूंढ पाता उन मुस्कुराहटों को,

खुशियों को सहेजने का काश कोई सलीका होता।



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