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Ramdev Royl

Action Classics Children

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Ramdev Royl

Action Classics Children

कॉलेज

कॉलेज

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22 मार्च का दिन था तब पहली बार कॉलेज में गया

था सब कुछ उसमे लेकिन स्कूल वाली बात नहीं थी।


सुबह हम सब कॉलेज पहुंचे प्रार्थना के लिए एकत्र हो गए

प्रार्थना भी हुई लेकिन वो स्कूल वाली प्रार्थना नहीं थी।


अब हम सब क्लासरूम में बैठ गए पर क्लास शांत हो गई

कौन किससे बात करे वहा स्कूल वाले दोस्त नहीं थे।


जैसे तैसे एक कालांस बित गया क्लास वैसे ही शांत थी

फिर एक दूसरे से बात शुरू हुई सब अपनी पहचान

बताई वहां दोस्त भी बने लेकिन स्कूल वाली दोस्ती नहीं थी।


अब शिक्षक क्लास में आ गए पढ़ाना शुरू कर दिया

सब ध्यान से सुन रहे थे लेकिन स्कूल वाली पढ़ाई नहीं थी।


स्कूल की तरह कॉलेज में भी पढ़ाई रोज होती थी

लेकिन उसमें स्कूल वाली मोज मस्ती वहां नहीं थी।


स्कूल पास की कॉलेज में आ गए मन में खुशियां थी

वहा स्कूल वाली मोज नहीं है इसकी समझ नहीं थी।


बिछङ गए थे यार पुराने,मिले कुछ यार नए..

सब कुछ नया था क्योंकि वो स्कूल नही थी।


शिक्षा की नयी दुनिया,गुरुओं का नया समा था,

घबराहट थी सीने में,एक अजीब-सा डर था।

क्योंकि वो अपना स्कूल नहीं था।


कुछ दिन बीत गए सब आपस में जानने लगे थे

की कॉलेज कोविड 19 के कारण बंद हो गया

क्योंकि ये पुराने वाला समय और स्कूल नहीं था।



कॉलेज में बिताए वो दिन और दी गई शिक्षा 

हमेशा याद रहेगी भले ही वो स्कूल नहीं थी।


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