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V. Aaradhyaa

Romance Fantasy

4  

V. Aaradhyaa

Romance Fantasy

ये अलग बात है

ये अलग बात है

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ना कुछ होकर भी तुम मेरे सब कुछ हो गए,

मैं तुम्हारा कुछ भी नहीं ये अलग बात है...!


रवायत ए इश्क़ में सिर्फ तेरी यादें हैं मेरे साथ,

याद मुझे तुम करो ना करो ये अलग बात है...!


तुम पर मर के हम ख़ुद फ़ना हो गए 

अब के जी सकूं के न जी सकूं ये अलग बात है...!


खैर ओ ख़बर तू मेरी ले ना ले ये तेरी रज़ा,

अब मैं हर लम्हा "ला" हूं ये अलग बात है...!


मसला कोई ऐसा ना था कि गुरूर और हुस्न का मेराज ना होता,

खैर सज़ा ए इंतज़ार मिला मुझको ये अलग बात है...!


कहोगे हमें कोई दीवाना कि हम मुरीद तुम्हारे हो गए ,

के अब दीवाना वार हो चला ये अलग बात है...!


सुनते हैं तेरी शिकायतें अब मैं तेरी खामोशी में,

ख़ामोशी बयां करने लगी दर्द तेरा ये अलग बात है...!


दौर ए हयात में छाई है ख़ामोशी बहुत,

लफ्ज़ दर्द बयां करने लगे हैं अब ये अलग बात है...!


ना सोच तू कि तेरे क़ल्ब ए कैफियत का इल्म नहीं,

हम कुछ जताते नहीं मैं अब ये अलग बात है...!


सिवाय इश्क़ के कोई और कुसूर न था मेरा,

खैर ये बात अलग है अब कि ये अलग बात 


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