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अमित प्रेमशंकर

Romance

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अमित प्रेमशंकर

Romance

यादों में तुम हो!

यादों में तुम हो!

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लबों पे वो,बाहों में ये,ख़्वाबों में तुम हो

हर घड़ी हर पहर यादों में तुम हो।।

कैसी कशमकश है दुनिया हमारी

सब कुछ मिला न मिला दिलकरारी

हिम्मत नहीं खुदकुशी की ऐ जानम

कैसे बताऊं, है क्या बेकरारी।।

जिता हूँ तुमसे..मेरी सांसों में तुम हो

हर घड़ी हर पहर यादों में तुम हो।।

जिस्म में और कोई बातों में और कोई

हृदय की ध्वनि में तेरे सिवा न और कोई

जागूं तो तुम,सोऊं तो तुम, रोऊं तो तुम,

मेरे एक एक इंद्रियों में ऐसे हो तुम खोई।।

सच यही है.मेरे जलते जज़्बातों में तुम हो

हर घड़ी हर पहर यादों में तुम हो।।

ये थके हारे नैन अटके हैं कल पर

तुझे ढूंढती है हरदम,प्रेमियों के पटल पर

तेरे दरस बिन मचलती है आहें

टीका लगा दे मेरे अंत: तल पर

आजा सनम,जाने कहां कब से गुम हो

हर घड़ी हर पहर यादों में तुम हो।।


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