यादें
यादें


रात की दहलीज़ पर
बैठा हुआ ये चाँद है
यादों के बादलों से
निकला हुआ ये चाँद है
ताकता सा मुझको पहरों
कह रहा है बात ढ़ेरों
तेरी मेरी मुलाकात की
भीगती सी रात ढ़ेरों
दिल की शाखों से
झाँकता हुआ ये चाँद है
रात की दहलीज़ पर
बैठा हुआ ये चाँद है
चश्मदीद ये गवाह है
बेपनाह उस इश्क़ का
सुबूत है बह गए
अपने हर इक अश्क़ का
दूर आसमान से कहीं
पिघलता हुआ ये चाँद है
रात की दहलीज़ पर
बैठा हुआ ये चाँद है