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Abha Chauhan

Abstract Tragedy Classics

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Abha Chauhan

Abstract Tragedy Classics

यादें

यादें

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कोई जीता है यादों का सहारे,

 चेहरे पर मुस्कान लाती है यादें।

 यादों में जब कोई अपना पुकारे,

दिल को दुखा जाती है यादें।


अपनी कुछ यादों को मैंने,

पन्नो में रखा है सहेज कर।

जीवन के कुछ सुनहरे पलों को,

फोटो बना के रखा है मेज पर।


 कुछ यादें एकदम साफ साफ,

कुछ धूमिल सी नजर आती हैं।

वह यादें ही तो है जो हमें,

 अतीत में ले जाती है।


यादें तो समुंदर में उफनते हुए,

तूफान की तरह होती है।

जितना समेट़ो अपने आंचल में,

उतनी और बेकाबू होती है।


 यादें ही तो अपनी होती है,

कोई उधार की नहीं।

मीठी हो या हो कड़वी,

यादों को मिटा सकते नहीं।


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