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Praveen Gola

Tragedy

3  

Praveen Gola

Tragedy

यादें

यादें

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तुम अब आते ही नहीं हो...

क्या तुम्हें पता है?

मैं तुम्हें अब भूलने सा लगा हूँ।


वो साथ गुजारे हमारे हसीन पल,

जिनमें एक साँस चलती थी कल-कल,

उन्हें अब मैं गिनने लगा हूँ।


कितनी होती थी वो रातें सुहानी...

जब दो धड़कते दिल लिखते थे कहानी,

उसमें कभी-कभी मैं उलझने लगा हूँ।


याद आती है तुम्हारी अक्सर...

जब होता है मेरा गरम बिस्तर,

हौले से तब मैं मचलने लगा हूँ।


जब भूल जाता हूँ तुम्हारा अक्स सारा,

तब लेता हूँ देख तुम्हारी तस्वीर का सहारा,

थोड़ा सा तब मैं मुस्कुराने लगता हूँ।


तुम अब आते ही नहीं हो...

क्या तुम्हें पता है?

मैं तुम्हें अब भूलने सा लगा हूँ।


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