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SURYAKANT MAJALKAR

Romance

3  

SURYAKANT MAJALKAR

Romance

यादें..

यादें..

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एक संदूक मिली है पुरानी

धूल अभी तक जमी हुई है

यादों की तरह वो भी

चिपकी हुई है।


अपने स्कूल के दिनों की

एक तस्वीर मिली है

कितनी पास तुम खड़ी थी

अंतिम क्षण में फोटोग्राफर

की मेहरबानी...।


स्कूल का आखरी दिन था

मैं दोस्तों के साथ खड़ा था

तुमने चुपके से हाथ में कागज़ दबाया

मैंने पढ़ा...लेकिन बिना जवाब के

तुम चली गयी।


एक डायरी मिली है

कपड़ों में बंधी हुई

तुम्हें दिखानी थी

पर तुम मिली ही नहीं।

फिर मैंने संदूक में रखी

संभालकर.. यादों की तरह।


कुछ और चीज़ें भी मिली है

किताबें, तस्वीरें, गिल्ली,

और फिल्म की टिकट

कोई हिट फिल्म थी।


वो पूरी फिल्म बिना

बात किये तुमने देखी

और मैं तुम्हें..

इंटरवेल में खाने के

अलावा तुमने मुँह न खोला।


वो स्कूल के दिन अभी याद आते हैं

कहा प्रेम, प्यार पता था

'लव लेटर' तो दूर की बात

बस तुम अच्छी और सच्ची लगती थी।


अभी तक चीज़ें संभालकर रखी है

अब धूल झटक रहा हूँ

यादों को ताज़ा कर रहा हूँ।

उन दिनों की बात ही अलग थी।


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