यादें
यादें
बस
अभी कुछ दिनों पहले ही तो
कॉलेज के प्रांगण में
अक्समात ही हुई थी
पहली बार तुमसे मेरी
भेंट..
कुछ अजीब सा आकर्षण था
तुम्हारे व्यक्तित्व में
कुछ ही दिनों में तुम
चहेते बन गये थे सभी के
फिर चाहे हों teacher’s या हो
classmates..
और हो भी क्यूँ ना
अव्वल जो थे तुम हर चीज़ में
और मृदुभाषी तो इतने कि
बात करो तो लगे मानो
मोती झरते हों...
अक्सर अनायास ही मेरी नज़रे
तलाशती रहती थी तुम्हें ही..
और तुम...
तुम भी तो देखते रहते थे मुझे ही
बस एक टक यूँ ही..
क्लास में सब चिढाते थे हमें कि
हम कर रहें हैं एक दूसरे को
date..
आज
बीस साल बाद ये सारी यादें
इक बेहद सुखद अनुभूति दे रहीं हैं
तुम हो एक बेहतरीन जीवनसाथी
सच..मिल ही गया था मुझे मेरा सोलमेट।