यादें
यादें
इंतजार के उस मौसम में ,तेरी यादें महकाती थीं,
अक्सर जो दिल बोझिल होता ,आ चुपके सहला जाती थीं ।
कोमल ,निर्मल ,चंचल जिनको,पाला मैंने इक जीवन सा
देख देख दिल के दर्पण में,प्रेम लुटाया था यौवन सा ।
अंतस के सूने आँगन में ,यादें ही तो मुस्काती थीं ,
अक्सर जो दिल बोझिल होता ,आ चुपके सहला जाती थीं ।
तुझसे मिलकर तुझको जाना ,लब पर तेरी ही बातें थीं ,
रहा रँगीला दिनकर मेरा ,और रसीली सी रातें थीं ।
मदिर मृदुल मुस्कान सलौनी, नयनन ही छलका जाती थीं ,
अक्सर जो दिल बोझिल होता ,आ चुपके सहला जाती थी ।
फिर आया बिछड़न का मौसम ,अपने थे पर गैर हुए तुम ,
छोड़ अकेले सघन वनों में ,प्रेम तलाशा बैर हुए तुम ।
तुमने तड़पाया जी भर कर ,पर यादें बहला जाती थीं ,
अक्सर जो दिल बोझिल होता ,आ चुपके सहला जाती थीं ।

