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Pandav Kumar

Romance Fantasy

4  

Pandav Kumar

Romance Fantasy

याद

याद

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शहरी भीड़ से दूर जा रही होगी

उसे मेरी याद आ रही होगी


 टहलते हुए मुस्कुरा रही होगी

उसे मेरी बात याद आ रही होगी


बारिशों में खुश हो रही होगी

बूंदों से मेरा एहसास कर रही होगी


दिनभर बहुत खुश रही होगी

रात में अकेलापन सता रही होगी


ये दूरियां अब बर्दाश्त नहीं होता

फासले कम करने की कोशिश कर रही होगी।


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