Pandav Kumar
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मोहब्बत हो गई है फिर से या
शायद खुद गिरने चला हूं
पछताया बहुत था, पर
शायद गम भरने चला हूं
इश्क़ में दिल के टुकड़े हुए हजार
पर फिर से चांद को पाने चला हूं
रोया तो बहुत था, पर
शायद फिर से हंसने चला हूं
देखते नहीं
संघर्ष और सफल...
याद
एक सिपाही
एक चेहरा
ए जिंदगी
फिर से
move on
प्यार
आसान नहीं होत...