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Pandav Kumar

Abstract Inspirational

3.5  

Pandav Kumar

Abstract Inspirational

एक सिपाही

एक सिपाही

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आपके संस्कारों को दिखाया मैंने

जमीं से किया वादा निभाया मैंने

गोली सीने पर खाई

पीठ नहीं दिखाया मैंने


एक वादा कर आया हूं सरहद पर

एक जा रहा तो दूसरा आएगा सरहद पार

एक ने झुकने नहीं दिया तिरंगा

दूसरा लहराएगा तिरंगा सरहद पर


पिछली बार भेजी थी जो राखी

अब तक पहना हुआ हूं मैं

माफ़ करना मेरी बहना

इस राखी से पहले राख हो गया हूं मैं


जिस खिड़की में चांद देखा था मैंने

उसे एक संदेश देना मेरे यारों

एक वादे के खातिर दूसरा तोड़ दिया मैंने।


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