संघर्ष और सफलता
संघर्ष और सफलता
हजारों ख़्वाब समेटकर आया है
पूरा बिहार पटरियां चढ़कर पटना आया है
घुटन महसूस होती होगी उसे 10' ×10' के कमरे में
जिसने बीघों में अपना गौशाला बनवाया है
रातभर जागकर नींदों को हराया है
अपनी आंखों की गंगा को समेटा है
भला कबतक सड़क पर तपिश सहे वो सूरज की
जिसने अपना बचपन मीलों की बगिया में बिताया है
जब बुलंदियों की आसमान तुम्हारी हो
सफलता की नैया का तुम सवारी हो
तब कोई यार मिल जाए तो
लिपटकर इस कदर रोना की
बस तुम और तुम्हारी यारी हो!
