व्यक्तित्व
व्यक्तित्व
एक नौका में सवार होकर, कोई अंगारों से खेलता !
अंधी पीसे कुत्ता खाए ,जब अक्ल चरने जाये !
एक अनार सौ बीमार, तो कोई है आंख का तारा !
आप न जावे सासुरे ओटन को सीख देत, कहते ईंट से ईंट बजाय !
बावरे गांव में ऊंट आय, जैसे ईद का चांद होय !
एक तो करेला दूसरा नीम चढ़ा ,और एक कंठ का हीर !
कोई अंधों में काना राजा, कोई है गुदड़ी का लाल !
आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास, पल-पल होए जैसे घड़ी में तोला घड़ी में माशा !
खिसयानी बिल्ली खम्भा नोचे, ओर दूसरे पर आग बबूला होय!
