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Dr.Narendra kumar verma

Comedy

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Dr.Narendra kumar verma

Comedy

व्यक्तित्व

व्यक्तित्व

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एक नौका में सवार होकर, कोई अंगारों से खेलता !

अंधी पीसे कुत्ता खाए ,जब अक्ल चरने जाये ! 

एक अनार सौ बीमार, तो कोई है आंख का तारा !

आप न जावे सासुरे ओटन को सीख देत, कहते ईंट से ईंट बजाय ! 

बावरे गांव में ऊंट आय, जैसे ईद का चांद होय !

एक तो करेला दूसरा नीम चढ़ा ,और एक कंठ का हीर !

कोई अंधों में काना राजा, कोई है गुदड़ी का लाल !

आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास, पल-पल होए जैसे घड़ी में तोला घड़ी में माशा !

खिसयानी बिल्ली खम्भा नोचे, ओर दूसरे पर आग बबूला होय!



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