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Praveen Gola

Drama

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Praveen Gola

Drama

व्यापार

व्यापार

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लोक व्यवहार,

बड़ा व्यापार ,

इसी से चलता ,

रिश्तों का बाजार।


व्यवहार मनुष को ,

काबिल बनाये ,

वो दिन दूनी रात चौगुनी ,

तरक्की करता जाए।


नेग बने,

सिर्फ रिवाज़ ,

ज़िन्हे पूरा करे ,

ये समाज।


व्यवहार की है,

बात निराली,

जो इसको समझे ,

उसके लिए ताली।


पुरानी कहावत ,

कितनी चरितार्थ,

लोक व्यवहार,

नेग रिवाज़।


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