STORYMIRROR

Bhawana Raizada

Drama

3  

Bhawana Raizada

Drama

वट वृक्ष

वट वृक्ष

1 min
1.3K

वट वृक्ष की छांव तले,

पल्लवित होती क्यारियां।

कभी सूक्ष्म, कभी विराट,

अनजानी, अनसुनी कहानियां।


कभी झूले में झूलाती,

लम्बी पेंग बढ़ाती दीवानियाँ।

कभी दर्द को साझा करती,

वो अल्हड़ नादानियां।


न जाने कहाँ खो गयीं,

सिमटी थी जो यारियां।

आज ढूंढ़ने निकली फिर,

उस बचपन की सहेलियां।


वट वृक्ष की छांव तले,

पल्लवित होती क्यारियां।

कभी सूक्ष्म, कभी विराट,

अनजानी, अनसुनी कहानियां।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama