वतन के रखवाले
वतन के रखवाले
जो लाख बाधएँ आएँ, दुश्वारियों से भी हम न घबराएँ।
हैं पर्वत से अविचल इरादे, दुश्मन सीमा लाँघ न पाए।
माँ भारती की रक्षा का प्रण ले, सीमा पर डटे रहे सदा।
भारत भूमि की रक्षा सर्वोपरि, परिवार सदा पीछे रहा।
वतन मेरा हमेशा खुशहाल रहे, यही शुभस्वप्न हमारा है।
छोड़ दिए बाकी सब रिश्ते, माटी ने जब-जब पुकारा है।
हम हिंद की सेना हैं, भारत माँ के लिए जीते-मरते हैं।
सामने हो यमराज स्वयं भले, हम कर्मपथ से न डिगे हैं।
नहीं चाहिए वरदान अमरता का, न कोई परितोष पाना।
बस!यदि वीरगति प्राप्त हो तो स्वजनो को गले लगाना।
इस तिरंगे पर न्योछावर तन-मन और जीवन सारा है।
इस पुण्यधरा पर लें जन्म बारम्बार, यही अरमान हमारा है।