वर्षा से मन हर्षा
वर्षा से मन हर्षा
जेठ की तपन अगन सूख गए ताल तलैया झील झरने नदियाँ प्यासी धरती बेहाल।।
पेड़ पौधों मुरझाए हरियाली की खुशहाली कब आये निहारते आसमान।।
बादल आये जीवन की आस जगाए उमड़ घुमड़ छाए बारिश लाए प्रकृति प्राणी मुस्कुराए।।
गांव किसान निहारे आकाश बदल बारिश का इंतज़ार खेती बारी की शुरुआत पल प्रहर की आस।।
जेठ की गर्मी से तपती धरती गर्मी से राहत दरकार इंद्र देवता की पुकार।।
आया महीना असाढ़ मानसून के साथ गरजे बादल छाई बदरी बारिश की फुहार।।
गिरती बूंदें धरती पर छम छम बरसात तपन अगन से छुटकारा प्रकृति का वरदान।।
सूखी धरती की बुझी प्यास हरियाली खुशहाली का विश्वास मोर नाचे जीवन यथार्थ मुस्कुराए।।
ताल तलाईया झरना झील नदियों में जल प्रवाह ऋतु वर्षा की शुरुआत असाढ़।।
गांव किसान में आशा का संचार लहलहायेंगे खेत खलिहान का शुभ शुभारंभ असाढ़।।
