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Sudha Sharma

Classics

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Sudha Sharma

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वर्षा ऋतु

वर्षा ऋतु

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अवनि व्याकुल ताप से,भेजे नभ संदेश ।

प्रेम रस बरसा जाओ ,हिय में बढ़ा कलेश ।।


सुन वेदना धरती की, अंबर छाए मेघ ।

मृग छोने से दौड़ रहे ,अंबर आंगन तेज।।


 मेह रिमझिम बरस रहा, धरा करे रसपान।

 प्रेम सुधा पा प्रिय का, बढ़ी धरा  मुस्कान।।


 हरी हरी चुनर धरी, रंग-बिरंगे पुहुप।

चहुं दिशि सोंधी गंध उड़ी, झूमें तितली मधुप।


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