उर्जा का स्रोत
उर्जा का स्रोत
इक विचार सा मन में आया,
तन छुईमुई सा कुम्भलाया ।
धमनी शिरा गति अवरुद्ध,
रक्त जमकर बर्फ सा ठिर्राया।
मन के शेर ने तन्द्रा त्याग,
शक्ति का आह्वान लगाया ।
चैतन्य मन की मीन अकुलाई,
सारी जड़ता दूर भगाई।
साहस पुष्प परिमल सूॅ़घकर,
अधरों पर भी स्मित उग आई।
शिरा धमनी गर्माहट छाई,
रक्त में नव खोलाहट आई।
तन वही बस मन का संकल्प,
गतिविधियों में भिन्नता आई।
सकारात्मकता ऊर्जा स्रोत,
निराशा कायरता लाई ।
मन साधो तो तन सध जाए,
नैराश्य भाव पास ना आए।
