श्राद्ध तर्पण
श्राद्ध तर्पण
श्राद्ध
तुम श्राद्ध करो पर सच्चे करो
केवल जग को दिखाने से क्या फायदा।
जिंदे मात पिता वृद्धाश्रम में रहे
जीवन संध्या में तरसते रहे
उनको साथ मिला ना पल भर तेरा
अब ब्राह्मण जीमाने से क्या फायदा।
तुम श्राद्ध करो पर सच्चे करो
केवल जग को दिखाने से क्या फायदा।।
तूने व्रत किये चारों तीर्थ किए
जन्म दाता से प्रेम के न दो शब्द कहे
आखिरी समय में भी तड़पते रहे
अब कीर्तन कराने से क्या फायदा ।।
तुम श्राद्ध करो सच्चे मन से करो
केवल जग को दिखाने से क्या फायदा
उसने तेरी खुशी पर हर सुख वारा
तुझे खुश देखने का ही व्रत धारा
तेरे दर्शन को नैना तरसते रहे
घर में फोटो लगाने से क्या फायदा।
तुम श्राद्ध करो पर सच्चे करो
केवल जग को दिखाने से क्या फायदा।।
वैष्णो धाम गया और शाकुंभरी गया
जय के नारों से नभ गूंज गया
जन्मदात्री से बढ़ कर कौन है मां
अब आंसू बहाने से क्या फायदा।
तुम श्राद्ध करो पर सच्चे करो
केवल जग को दिखाने से क्या फायदा।।
उनको दो पैसे की भी दवा ना मिली
दवा ना मिली और दया ना मिला
उनके नाम पर धन तू बरसा रहा
श्राद्ध तर्पण कराने से क्या फायदा।
तुम श्राद्ध करो पर सच्चे करो
केवल जग को दिखाने से क्या फायदा।।
