वर्षा के दिन आए
वर्षा के दिन आए
गर्मी की हो गई छुट्टी
लो भैया वर्षा के दिन आए।
देख रंग बिरंगे चंचल बादल
जंगल में नाचा मन भर मोर।
माँ की सेवा करने चल पड़ा
किसान हल लेकर होते भोर।
खेत-खेत अर्र त-त-त जो मगन हो गाए।
गर्मी की हो गई छुट्टी
लो भैया वर्षा के दिन आए।
ठूँठ सभी उमंग में हुए हरे-भरे
नदी-नाले पोखरी हुए धनवान।
मत पूछो मेंढक राजा को अब
वह खुश हो गाए स्वागत गान।
बिजली की चमक देख दिल दहला जाए।
गर्मी की हो गई छुट्टी
लो भैया वर्षा के दिन आए।
चोंच में तिनका ला-ला कर
पक्षी सारे बना रहे घोंसले।
अब तक बागों की रानी गाती थी
पता नहीं क्यों अब कुछ न बोले।
शायद उसके ससुराल जाने के दिन आए।
गर्मी की हो गई छुट्टी
लो भैया वर्षा के दिन आए।