वृक्ष :कल्पवृक्ष
वृक्ष :कल्पवृक्ष
वृक्ष यानी पेड़, तरु, पादप, विटप, पर्णी,
विटष, द्रुम या अटवी...
यदि नहीं होते, नहीं इंसान होता भूमि पर ना जानवर-
कीड़े- मकोड़े, पशु-पक्षी,
होती नहीं इस वायु की यह शुद्धता
फल-फूल, बाँस या लकड़ी
जल नहीं रहता हमारी भूमि में
यह झील, झरने, ताल, वापी भी
कहीं होते नहीं...
आज का यह सूक्ष्म सा पौधा
बनेगा कल्पतरु सा कामनाएँ पूर्ण होंगी
हर मनुज की,
पेड़ के पत्ते, जड़ें, ये छाल, इनका रस
मिला कर बन रही हैं खाद, फर्नीचर, रूप-उत्पाद
शर्बत, औषधि,
मात्र पौधे ही नहीं हैं वृक्ष, कल की आय हैं,
व्यापार इनका कीजिएगा तो...
बनेंगे लखपति।