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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

तू भी शामिल है साजिशों में।

तू भी शामिल है साजिशों में।

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जिन्दगी तुझको हमेशा ही मेरी खुशियां नागवार गुजरी है।

जब जब भी हमने हंसना चाहा तब तब ही तू रोयी है।।1।।


यूं जीने में ना कोई आगाज़ है ना ही कोई अंजाम है।

कमबख्त जिंदगी जाने तू इतनी कैसी संग दिल हो गई है।।2।।


जब से पता चला है कि तू भी शामिल है साजिशों में।

वफा निभाने की तेरी खाई हर कसम निकली झूठी है।।3।।


तमाम उम्र गमों में काटी हंसने के वक्त मौत आ गई।

देखी तो कैसे साहिल के पास आकर कश्ती मेरी डूबी है।।4।।


अब हंसने से भी डर लगता है कही तू फिर से ना रुला दे।

जिंदगी तुझसे मेरी पल भर की खुशी भी ना देखी गयी है।।5।।


जाने क्या कमी रह गईं मुझसे खुदा की इबादत में।

जो मेरी मांगी हर दुआ फलक तक ना पहुंच सकी है।।6।।



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