उनके तिलक रंजित भाल हैं
उनके तिलक रंजित भाल हैं
जीवन के दुर्गम राह पर मिलते ख़र पतवार हैं।
अंधेरों में राह तलाशते हम हुए बड़े लाचार हैं।
जनता चीखे त्राहिमाम कैसी व्यस्त सरकार है।
जो राजपथ पर चल रहे वही बनें अवतार हैं।
आवाम भूख से लड़ती वो व्यंजनों में मस्त हैं ।
वो आसमानों में उड़ते जनता संघर्ष से पस्त है।
उनके इशारे पर जहाँ में कौंधती हैं बिजलियां।
वो बन गए भौंरे अब उनसे डर रही तितलियां।
वो माल शोभित कंठ हैं तिलक रंजित माथ हैं।
विपत्ति में सिर्फ धैर्य व साहस का ही साथ है।
मेहनतकश चलते सदा रखते कदम साथ हैं।
जो चापलूसी कर रहे उनके कैसे पुरुषार्थ हैं।
जिनकी दुआ में प्रेम उनकी दुआ में प्राथ हैं।
सद्गुण चरित वाले लोगों में भला क्या बात है।