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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

तुम अभी आना नहीं।

तुम अभी आना नहीं।

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शहर की आब-ओ-हवा है ठीक नहीं तुम अभी आना नहीं।

हर सम्त ही क़यामत है आयी यहाँ तुम अभी आना नही।।1।।


सियासत की है बड़ी मजहब पर इन स्याह सियासतदानों ने।

बंट गया है सारा शहर ही कौमों में तुम अभी आना नही।।2।।


मशहूर था खुलूश-ए-मोहब्बत इस शहर के बाशिंदों का।

अब अदावत ही अदावत है यहाँ तुम अभी आना नही।।3।।


उजड़ी है सारी बस्तियाँ ही इंसानियत कहीं दिखती नहीं।

कोई भी ख़ैरियत पूछने वाला नहीं तुम अभी आना नहीं।।4।।


रहते थे बस्ती में जो राम-ओ-रहीम आमने-सामने कभी।

रहते है वो मंदिर-ओ-मस्जिद में तुम अभी आना नहीं।।5।।


हर शू पसरा है सन्नाटा यहाँ परिंदे भी शज़रो पे आते नहीं।

उदास है अभी यह शहर ही बहुत तुम अभी आना नही।।6।।


हर खुशी-ओ-गम बांटकर जीने वाले हो गए है दुश्मन-ए-जाँ।

मौत कब ले ले आग़ोश में अपनी तुम अभी आना नही।।7।।


बूढ़े चाचा अब स्कूल वाली बस अपनी बस्ती में लाते नहीं।

बच्चों का स्कूल है घर से बहुत ही दूर तुम अभी आना नही।।8।।



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