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Sumit. Malhotra

Abstract Action

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Sumit. Malhotra

Abstract Action

दुर्गा माँ हम सब।

दुर्गा माँ हम सब।

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दुर्गा माँ हम सब तेरे ही बच्चे हैं, 

कुछ झूठे, कुछ मन के सच्चे है। 


माँ की ममता ममतामयी होती, 

माँ सदबुद्धि दो सभी तेरे बच्चे। 


पिछले जन्म के पाप सब काटे, 

दे वरदान भलाई करें सब बच्चे। 


चारों तरफ़ कम हुए लोग सच्चे, 

बड़े तो बड़े महापाप करते बच्चे।


माँ दुर्गा बस इतना ही चाहते हम, 

ख़ुशहाल रहे सदा ये समस्त जग। 


माँ दुर्गा इतनी कृपा हमेशा करना, 

कोई भी बहन-बेटी बहू सभी को। 


ना दहेज़ के कारण ही वो सदा ही, 

इज़्ज़त मारपीट और अन्याय सहें। 


कंजक रूपी कन्या के जन्म से ले, 

बुढ़ापे तक कंजक मान के पूजना।


कलियुग बीतने का इंतज़ार करते, 

सतयुग के आने का इंतजार करते। 


कलयुग में सभी दग़ाबाज़ ही मिले, 

अरमानों की कद्र करना जाने नहीं।


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