वोटों की राजनीती
वोटों की राजनीती
ओ ! मेरे देश के नेता,
नही हो तुम अभिनेता।
फिर क्यों अभिनय करते हो,
देश की जनता का वोट मांगने,
झूठे वादे करते हो।
हर बार तुम्हारा घोषणा पत्र,
चुनाव से पहले आता है।
सत्ता में आते ही,
जाने कहाँ खो जाता है।
बिजली, पानी, सड़क, बेरोजगारी,
वही हमारी समस्याएं हैं।
इनका निस्तारण करो अब तो,
तुमसे उम्मीद लगाए हैं।
स्वच्छंद रात को औरतें घूमे,
आतंकवाद का खात्मा हो।
लूट, हत्या अपहरण का ,
कहीं न आतंक हो।
किसानों को मिले राहत,
जब फसल न लहलहा पाए।
हर पीड़ित को मिले इंसाफ।
कोई न बचने पाए।
बलात्कारी को मिले फाँसी,
भ्रुणहत्या का अपराधी न बच पाये।
अस्पताल, पाठशाला हो हर जगह,
कोई निरक्षर न रह पाये।
आजादी को हो गये कितने साल,
हम कितने आगे बढ़ पाये हैं ?
छोड़ दो भरना जेबें अपनी,
हम तुम्हें चुन कर नेता बनाये हैं।
उस विश्वास की इज़्ज़त रखलो,
वोटों पर राजनीति बंद करो।
दुनिया में भारत का परचम लहराए,
अगर तुम अपनी कमर कस लो।
