वो
वो
अपना गम यूं वो किसी से भी छुपाया करते
जब कभी मिलते तो हौले से मुस्कराया करते।
उनकी बातों में तजुर्बों का झलकता मंज़र
जो कि हर दिल पे सलीके से छा जाया करते।
अपनी जज़्बात खयालात के इतने पक्के
मुफलिसी में भी कदम वो न हटाया करते।
वो रहम दिल प्यार का जिसमें समंदर बसता
बेजुबानों की जुबां बनके हिफाज़त करते।
आइना झूठ बोल सकता हो शायद मुमकिन
उनकी फितरत है वो झूठ को ठुकराया करते।
उनको "आज़ाद" इधर की उधर नहीं आती
दिल में जो बात आ जाती वो सुनाया करते।
