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Praveen Gola

Romance

3  

Praveen Gola

Romance

वो सर्दी की रात

वो सर्दी की रात

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तुम्हारे साथ बितायी हुई ....वो सर्दी की रात ....आज भी याद है ,वो अनकही बात।

कहना था भी तो क्यूँ ?तुम साँसों को जो गिनते थे ,उस गर्म सी रजाई में ,बस मस्ती की हवा भरते थे।

वो ठंड से किटकिटाते ....मेरे सफेद दांत ,आज भी याद है ,वो सर्दी की रात।

मैं ओढ़ रजाई सर तक ,जब भी अपना तन छुपाती थी ,सच कहूँ खुद को और ज्यादा ,पसीने से लथपथ पाती थी।

बस कानों में तुम्हारा स्वर ,मदहोशी का आलम देता था ,उस सर्दी की रात को ,गर्मी का रुप देता था।

आज भी रह गई अधूरी ,वो अनकही बात ,तुम्हारे साथ बितायी हुई ....वो सर्दी की रात।|


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