Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sarita Dikshit

Romance

4.7  

Sarita Dikshit

Romance

वो सर्द शाम

वो सर्द शाम

1 min
459


वो सर्द शाम अब तक है ज़हन में

जब पहली बार थे हम मिले

अनजाने शहर में ,अनजानी राहों में

जाने कैसे बने थे सिलसिले


तुम्हारी नज़रों ने जब एक निगाह मुझ पर डाली थी,

मैंने भी उस पाक नज़र में सारी कायनात पा ली थी

कुछ न कहकर भी कहा था तुमने

हाँ ये सच है, मेरे भी लब थे सिले

जाने कैसे बने थे सिलसिले


वो मुलाकातें रूहानी अहसासों वाली थीं

वे शामें जीवन में नई सुबह लाने वाली थीं

ऐसा लगा था मानो पतझड़ के बाद

बासंती फूल थे खिले

जाने कैसे बने थे सिलसिले.......


अब भी शामें आती हैं

पर तुम जुदा हो गए

इस क़दर ख़यालो मे बसे

मानो ख़ुदा हो गए

बिछड़ के जान पाए

इतने क्यो थे शिकवे गिले

जाने कैसे टूटे थे सिलसिले

जाने कैसे टूटे थे सिलसिले........



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance