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वो नन्ही यादें

वो नन्ही यादें

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हम यह क्यूँ भूल जाते हैं

कि आज अगर वो बूढ़े है

तो हम भी कभी बूढ़े होंगे।

आज उनको हमारी जरुरत है

तो कभी हमें उनकी

कभी मत भूलना

वो पहली राह,


नन्हे-नन्हे पैर

कब बड़े हो जाते हैं

पता नहीं चलता।


उंगली पकड़ कर जिसने

चलना सिखाया​

क्यूँ हम उन्हें भूल जाते हैं

चकाचौंध में खो जाते हैं।


क्यूँ भूल जाते हैं कि

उन्होंने हमारे लिये

कितनी कुर्बानी दी।


क्यूँ हम उन्हें भूल जाते हैं

जब उनको हमारी

सबसे ज्यादा जरुरत है।


उंगली पकड़ कर

जिसने चलना सिखाया

क्यूँ हम उन्हें भूल जाते हैं।


क्यूँ हम भूल जाते हैं

जो समय आज उनका है

कभी हमारा होगा।


हम भी कभी बूढ़े होंगे

कभी मत भूलना

वो नन्ही यादें।।


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