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शाह फैसल सुखनवर

Abstract Romance Tragedy

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शाह फैसल सुखनवर

Abstract Romance Tragedy

वो मेरा पहला प्यार था

वो मेरा पहला प्यार था

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वो मेरा पहला प्यार था 

जो मुझे पहली नज़र में भा गया था

जब उसकी नज़र पहली बार मेरी नज़र से मिली थी

तो मेरा दिल पहली बार धड़का था


तब मुझे महसूस हुआ था की दिल जैसी भी कोई चीज़ होती है

मेरी हालत पहली बार ऐसी हुई थी कि किसी की याद में पहली बार

रात जागकर गुज़ारी थी और दिन बेखुदी में गुज़रा था।

जब मुझे पहला प्यार हुआ था तो

मुझे पता ही नहीं लगा कि मुझे प्यार हो गया है,

बस एक धुन सी थी,एक जुनून,एक पागलपन,या फिर नादानी थी।

वो मेरा पहला प्यार था


अजीब था बहुत अजीब था 

और इतना अजीब था कि अपने पास की किसी भी चीज़ से गाफिल था

आंखें बंद करता था तो महसूस होता था कि वो मेरे पास है,

अगर आंखें खुली भी होती थी तो सामने की चीजों का ख्याल ही नहीं रहता था,

बस उसके ख्याल में गुम था।

कोई जब कई बार नाम लेकर पुकारता था तभी किसकी आवाज़ आती थी,

वरना महबूब का चेहरा आंखों के सामने मुस्कुराता हुआ दिखाई देता था

और उसमे ही खोया रहता था

हां वो पहला प्यार था


अब अगर याद आता है

तो खुद पर हसीं भी आती है और मलाल भी,

हंसी इसलिए कि पहले प्यार के चक्कर में कितनी उलजुलूल हरकतें की

और मलाल इसलिए कि पहला प्यार क़िस्मत में नहीं था।

कमाल का पहला प्यार था।


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