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Rekha Bora

Romance

4.6  

Rekha Bora

Romance

वो लड़की

वो लड़की

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आज फिर ..

याद आ रही है!

मुस्कुराती आँखों 

और लम्बे बालों वाली 

वो लड़की !

जो गर्मी की दोपहरी में

मेरे घर के बाहर 

अपनी साइकिल खड़ी करके,

मेरे घर के बंद दरवाज़े को 

धीरे से खोल कर ,

दीवार के सहारे टिक कर

खड़ी हो गई थी ..


और मुस्कुराती आँखों से

देख रही थी चारों ओर !

वो कुछ नहीं बोली,

न ही उसने 

किसी को आवाज़ दी !

पर बहुत कुछ बोल रही थी

आँखें उसकी

पसीने की बूँदें 

उसके चेहरे की लुनाई को

पिधलाकर उसे और भी 

खूबसूरत बना रही थी!


मैं जो भीतर के कमरे में 

उलझा हुआ था किताबों में 

अचकचा कर एकटक 

देखने लगा था 

उसकी ओर !

सैकड़ों घंटियाँ 

बजने लगी थी जैसे..

दिल ज़ोर ज़ोर से

धड़क कर कह रहा था 

हाँ यही है वो!

जिसकी तुम्हें तलाश है! 

मैं सुनहरे ख़्वाबों में खो गया.. 

और तभी ..


रवाज़ा बंद होने की 

आवाज़ से

ख़्वाब टूटा और मैं ! 

हक़ीकत की दुनिया

में लौट आया 

वो जा चुकी थी.. 

दूर कहीं, जाने किधर !

कौन थी वो लड़की ..

क्यूँ आई थी मेरे घर ..

और अचानक बिन कहे 

कहाँ चली गई 

फिर कभी क्यूँ 

नहीं दिखाई दी

हक़ीकत थी या ख़्वाब  

आज तक न 

जान पाया मैं 

इस सत्य को 

आज भी वो बेधड़क  

मेरे दिल के दरवाज़े पर

दस्तक दिये बिना

चली आती है 

मेरे ख्यालों में.. 


और टिक कर 

खड़ी हो जाती है 

मेरे ज़हन की 

दीवारों के सहारे !

मुस्कुराती आँखों से

देखती है चारों ओर.. 

और फिर चली जाती है 

अपनी यादें छोड़ कर

कुछ कहे बिना.. 

पर उसे क्या ख़बर 

कोई दीवाना  

याद करता है 

उसे आज भी..

कोई दीवानावार प्यार 

करता है उसे आज भी...


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