वो कहता है
वो कहता है
वो कहता है,
मैं किसी काम का नहीं,
कहने दो,
मैं बस उसी के काम का तो नहीं !
गुरुर तो देखो,
मुझे खरीदने चला है,
उसकी औकात में आ जाऊँ,
मैं इतने सस्ते दाम का तो नहीं !
मेरी हर ग़ज़ल में है,
कोई किस्सा मेरा,
पर हर किस्सा मेरा,
उसी के नाम का तो नहीं !
शाम मेरी भी एक ढली थी,
उसकी बाहों में,
पर मेरा आफताब अब उस,
ढलती शाम का तो नहीं !
जाम क्यों छोड़ दूँ,
उसने छोड़ दिया है तो,
मुझे छोड़ दे,
ऐसा इरादा मेरे जाम का तो नहीं !
अवाम में तलाश कर रहा है,
वो चेहरा मेरा,
मुझपे चेहरा मेरा है,
अवाम का तो नहीं !
इन्तक़ाम की चाह में मुझे,
चाह कर छोड़ दिया, वो कहता है,
मसला मेरी मर्ज़ी का है,
इन्तक़ाम का तो नहीं !
अल्लाह राम की कसमें,
खाके भी वो कर गया बेवफाई,
अब इन्तकाल किसका होगा,
अल्लाह या राम का तो नहीं !
एज़ाज़ गुल खिलते हैं,
अपने वक़्त पर,
वक़्त बदल जाता है,
इसमें कसूर गुलफाम का तो नहीं !