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एम एस अजनबी

Tragedy

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एम एस अजनबी

Tragedy

वो खत जलाए हैं

वो खत जलाए हैं

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हमने गलती की है आज,और करते भी क्या?

थी कुछ बातें अनकही मुझे कहना जरूरी था,

तो तुमको जानना पर हमेशा की तरह,

न तुम जान सके ,न हम कह सके,

शुरू हुआ एक शोध अपनी बातें लिखने का

हमने लिख कर हर एक बात बयाँ की,

बहुत सारी खुशियां तो बहुत सारे गम

आप से मिले तो कुछ अपनों से मिले,

लिख डाले खत में

सारे जज्बात लिख कर संजोए,

आज वो सब खत जलाए हैं।


तुम समझ पाओ शायद कि

तुम्हारा साथ और प्यार ही सब था,

तुम मेरा भरोषा मेरा गुरुर बने

तेरे साथ ही सारे सपने बुने,

उन कही अनकही बातों को खतों में संजोया

वो महज खत ही नहीं थे दोस्त,

दोस्ती की हर एक कहानी

भावनाएं, उम्मीदें, रंज, खुशियाँ,

अरमान तो ज़िन्दगी के संजोए सपने थे

जो सिर्फ और सिर्फ तेरे लिए देखे,

हमारे लिए थे हम दोनों के लिए थे

हम दोनों के लिए लिखे थे जो खत

आज वो सब खत जलाए हैं।।


तू दोस्त था मेरा

तुझे भी दोस्ती कबूल थी,

मेरा प्यार बने

आपको इस मोहब्बत पे नाज था

सबसे जुदा सबसे अलग,

फिर दौर शुरू हुआ शिकवों का

मेरे प्यार पर उंगली उठाई,

इतने बेरहम बन गए कि

हवस का खिताब दे डाला, फिर भी

चुप रह के हम सह गए,

कितने साल इस दर्द को सहते रहे

न कह पाए कभी बस लिखते गए,

इस उम्मीद के साथ कि दोस्त हो 

कभी तो मेरे जज्बातों को समझोगे पर,

जानकर भी तुम अंजान बन गए

उस पर भी खुदगर्ज की मिसाल बन गए,

तो क्या रखते सँजोकर जज्बातों को हम

दिल के सारे अरमान मिटाये हैं

आज वो सारे खत जलाए हैं।


दोस्ती का हर फर्ज निभाया हमने 

दर्द पी कर भी हँसाया तुमको,

पर अब तो आप हद ही पार कर गए

गिनती के महज चार दिन के रिश्ते की खातिर,

तोड़ दिए सारे रिश्ते एक पल में

बचपन की दोस्ती पर भी बोल गए,

कितनी सहजता से भूल गए सब कुछ

तोड़ दिया हर वादे को,

हम नहीं भूलेंगे अपने वादों को

पर तुम्हें माफ भी नहीं करेंगे अबकी,

हाँ, जब कोई साथ न दे आपका अपना

याद करना हमें,

अपनी दोस्ती का हर फर्ज अदा करेंगे,

न रख संकूँ कोई बैर दिल में तेरे लिए

इसीलिए भरे जज्बात के हर पैगाम को

हम जला आये हैं

लिखे थे जो खत तेरे नाम 'अजनबी'

आज वो सारे खत जलाए हैं।


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