वो जान न थे,अब जान गये हम...!
वो जान न थे,अब जान गये हम...!
गुमसुम से बड़े माशूम थे वो,
गर्मी वाला अप्रैल,बारिश वाला जून थे वो,
मेरा हनी औऱ मेरे मून थे वो,
मेरी आशिक़ी,मेरा जूनून थे वो,
एक लम्बे अरशे लगे,पर पहचान गये हम,
वो जान न थे,अब जान गये हम...!
इश्क़ के सफ़र के हमसफ़र थे वो,
मेरी जिंदगी के गुजर-बसर थे वो,
मुस्कुराते हुये चेहरे के असर थे वो,
अमावस कि काली रातों में,जुगनू वाली नज़र थे वो,
मेरी जान औऱ जिगर थे वो,
मुश्किलों में खो जाता अगर,तो खुशियों कि ड़गर थे वो,
एक लम्बे अरसे लगे,पर पहचान गये हम,
वो जान न थे,अब जान गये हम...!
खुशबू फूलों कि थी,पर उसकी महक़ थे वो,
लहलहाती फ़सालों कि लहक़ थे वो,
पकक्षियों कि चहचहाहट कि चहक थे वो,
सूरज कि दहकती धुपो कि दहक थे वो,
नीले-नीले आशमानो कि फ़लक थे वो,
एक लम्बे अरसे लगे,पर पहचान गये हम,
वो जान न थे,अब जान गये हम...!

