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ankita jain

Drama

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ankita jain

Drama

वो दिसंबर की बरिश

वो दिसंबर की बरिश

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किसी का दिल धड़का गयी,

तो किसी का दिल तड़पा गयी,

वो दिसंबर की बारिश,

जाने क्या-क्या दिखा गयी...


किसी के ख्वाब जागे थे,

तो किसी की आँखों ने समन्दर बहाए थे,

किसी को पहला प्यार याद दिला गयी,

तो किसी की जुदाई फिर से गहरा गयी,

वो दिसंबर की बारिश,

जाने क्या-क्या दिखा गयी...


बारिश की वो बूंदें,

और मिट्टी की वो महक,

हाय क्या बूंदें,

क्या मिट्टी और क्या थी वो महक।


किसी का तन भीगा गयी,

किसी का मन भीग गयी,

ये बेनाम बारिश भी

जाने क्या-क्या दिखा गयी...


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