नाम दुआ लिखना
नाम दुआ लिखना
ऐ दोस्त,
तुझे क्या नाम दूँ
कुछ समझ नहीं आता है...
जाम कह दूँ
तो छलक जाता है,
दिल कह दूँ
तो टूट जाता है...
और जिन्दगी कह दूँ
तो मौत का
डर सताता है...
फूल कह दूँ तो
काँटों से घिरा पाया है,
चाँद कह दू तो
उसमे भी दाग समाया है...
ऐ दोस्त,
तुझे क्या नाम दूँ
कुछ समझ नहीं आता है...
सोचा खुदा से पूछ लेंगे,
खुदा ने कहा:-
मेरे दर से ऊपर
जिसका घर बसा है,
वही तेरे दोस्त का पता है,
उस दोस्त का नाम दुआ है,
एक दुआ तेरे दिल से निकली थी
और मुझ तक पहुँची थी,
जिसमे खुशियों की चाह थी,
एक नन्ही सी आस थी ,
उन दुआओं को मैंने कबूला था...
तभी एक फरिश्ता
मैंने जमीं पर भेजा था
वो फ़रिश्ता तेरा दोस्त बन गया
और तेरी जिंदगी में रंग भर रहा...
इस दोस्त की दिल से दुआ है कि
तुझे हर वो ख़ुशी मिले जो तूने चाही हो
तेरे दामन में
हमेशा खुशियाँ रहे
भले ही उन खुशियों में
हम न आये हो...
