वो सोने से रंग वाली
वो सोने से रंग वाली
बातों में शरारत,
आँखों में नज़ाकत,
होठों पर हँसी,
दिल में ईमान है।
वो सोने से रंग वाली,
एक अनजान है,
रूठ जाती है जो,
छोटी-छोटी बातों पे।
मान भी जाती है वो,
एक मुस्कराहट पे,
शीशे का दिल,
कोमल सी काया।
इरादे मजबूत,
पर मासूम है वो आभा,
छुओ अगर तो,
छुईमुई सी शर्माती है।
डाँटों अगर तो,
पल में काँप जाती है,
झूठ बोले तो,
नज़रे झुका लेती है।
क्योंकि आँखें उसकी
सच्चाई बयान कर जाती है।।
