वो चिल्लाती रही
वो चिल्लाती रही
मसरूफ हुए हम इस कदर,
इस जिंदगी की दौड़ में
के जीत के उस जस्न ने
हर चींख को कहीं दबा दिया
वो हर मोड़ पर चिल्लाती रही
अपनी आबरू भी लुटाती रही
अौर हम नशे में चूर,
अपने जस्न में मगरूर रहे |
मसरूफ हुए हम इस कदर,
इस जिंदगी की दौड़ में
के जीत के उस जस्न ने
हर चींख को कहीं दबा दिया
वो हर मोड़ पर चिल्लाती रही
अपनी आबरू भी लुटाती रही
अौर हम नशे में चूर,
अपने जस्न में मगरूर रहे |