मैं स्वयं से ही हार गया
मैं स्वयं से ही हार गया
उस रात के अँधेरे में,
मैं स्वयं से ही हार गया,
मैं हर पल सबसे लड़ता रहा,
बस अपनों से ही बचता रहा।
दिल में एक डर था,
पर वो मेरा ही तो घर था,
मैं लिपट कर अपने आप से,
उस अँधेरे से बच ना सका।
मैं आँख भी नम कर ना सका,
मैं आँसुओं से मिल ना सका,
एक रौशनी पर नजर पड़ी,
कुछ देर में वो सिमट चली।
उस अँधेरे से वो हार गयी,
और मुझे दोबारा मार गयी,
मैं खुद से कभी
फिर मिल ना सका
और ज़िंदा भी मैं रह ना सका
उस रात के अँधेरे में,
मैं स्वयं से ही हार गया।