STORYMIRROR

सीमा शर्मा सृजिता

Inspirational

4  

सीमा शर्मा सृजिता

Inspirational

वो बूढ़ी स्त्री

वो बूढ़ी स्त्री

1 min
405

उम्र के अन्तिम पड़ाव पर तन्हा बैठी वो बूढ़ी स्त्री

मांगती है हमसे बस जरा सा वक्त

हमारे लिए ही खर्च कर दी उसने उम्र तमाम 


उम्र के अन्तिम पड़ाव पर तन्हा बैठी वो बूढ़ी स्त्री

सुनना चाहती है बस प्यार भरे चन्द शब्द तुम्हें याद है ना!

उसने ही सिखाया था हमको हमारा पहला शब्द 


उम्र के अन्तिम पड़ाव पर बैठी वो बूढ़ी स्त्री

खोलना चाहती है वो सारे राज आज फिर

जो दफन किये थे मन की कब्रगाह में हमारे ही लिये 


उम्र के अन्तिम पड़ाव पर बैठी वो बूढ़ी स्त्री

देखना चाहती है थोड़ा सा सम्मान हमारी आंखों में

हमें बनाने में आखिर उसने खोया है खुद को 


उम्र के अन्तिम पड़ाव पर बैठी वो बूढ़ी स्त्री

दे रही है टोकरे भर भर दुआएं और मांग रही है

बदले में केवल और केवल प्यार 


उम्र के अन्तिम पड़ाव पर बैठी वो बूढ़ी स्त्री

सिखाना चाहती है जीवन के अनगिनत पाठ

और बांटना चाहती है वर्षों से संजोई अनुभवों की दौलत 


उम्र के अन्तिम पड़ाव पर तन्हा बैठी वो बूढ़ी स्त्री

दिखाना चाहती है दर्पण ताकि हम जान सकें

एक दिन हमें भी पहुंचना है वहीं ....हां ठीक वहीं



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational