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Ervivek kumar Maurya

Abstract

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Ervivek kumar Maurya

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वक्त से कुछ पल माँगता हूँ मैं

वक्त से कुछ पल माँगता हूँ मैं

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वक्त से कुछ पलों को माँगता हूँ मैं

एक नई जिदंगी जीना चाहता हूँ मैं

साँस आये या थम जाये परवाह नहीं

मौत से भी लड़ना जानता हूँ मैं

वक्त से।


कदम मेरे न लड़खडाये कभी

जुबाँ मेरी कढ़वी न हो जाये कभी

मेरे शब्द तीरों से न चुभे किसी के

ऐसी दुआ उस रब से माँगता हूँ मैं

वक्त से।


प्रेम का हूँ पथिक बस प्रेम जानता हूँ मैं

प्रेम ही है ईश्वर बस उसे मानता हूँ मैं

प्रेम से मैंने कईयों का मद है चूर किया

प्रेम के रंग में सबको रंगना जानता हूँ मैं

वक्त से।


अभी हूँ अधूरा पूरा हो जाऊँगा

मंजिल की राहों को पा जाऊँगा

मैंने जो पल माँगे थे उनमें खूब हूँ जिया

अब अपने नाम का सिक्का जमाना चाहता हूँ मैं।


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